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Tata’s Success Story । टाटा की सफलता की कहानी – 2022-23

Tata's Success Story

Tata’s Success Story -> दोस्तों आपने अभी तक टाटा नाम के शख्स के बारे में नहीं सुना हो ऐसा हो नहीं सकता। टाटा वर्तमान समय में अपने आप में एक ब्रांड है जो कि समय बीतने के पश्चात लोगों का भरोसा पाकर तैयार हुआ है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको टाटा जी की सफलता की कहानी सुनाएंगे। क्योंकि वर्तमान समय में हर नागरिक को इनके बारे में जानकारी रखनी चाहिए ताकि बेबी इन के आदर्शों पर चलकर अपने लिए कुछ ऊंचाइयां निर्धारित कर सके और अपने सपनों को साकार कर सकें। दोस्तों यदि आप इस आर्टिकल को शुरू से लेकर अंत तक पढ़ेंगे तो आपको टाटा जी की सफलता के बारे में संपूर्ण जानकारी तो मिलेगी ही लेकिन इसके पश्चात आपके लिए भी कई सारे मैसेज दिए जाएंगे। तो चलीये दोस्तों टाटा जी के बारे में इस आर्टिकल को शुरू करते हैं।

Tata’s Success Story

दोस्तों वर्तमान समय में जितनी भी बड़ी-बड़ी ब्रांड है उन पर आपने टाटा लिखा अवश्य देखा होगा और जहां पर टाटा नजर आता है वह कोई भी वस्तु हो एक प्रकार से ब्रांड बन जाती है क्योंकि यह नाम भरोसे से तैयार हुआ है और इनके ब्रांड में आपको शुद्धता मिलती है।

आपको बता दें टाटा जी वर्तमान समय के देश के लिए एक बेंच मार्क है जिसने विदेशों में जाकर भी अपनी कंपनियों की स्थापना की है और वहां पर पहचान बनाई है। आपको पता नहीं होगा की जो लैंड रोवर तथा जैगुआर जैसी फेमस कंपनी भी इनके द्वारा ही चलाई जाती हैं।

इन्होंने अपनी समझदारी से आईपीएल से विवो को हटाकर खुद की जगह बनाई है। तो चलिए दोस्तों इन के बारे में विस्तार से जानकारी हांसिल करते हैं।

आपको बता दें टाटा ग्रुप की नींव JAMSETJI NUSSERWANJI TATA ने रखी थी। दोस्तों यह वही टाटा जी हैं जिनके नाम पर भारत के झारखंड में जमशेदपुर इंडस्ट्रियल सिटी है। वैसे तो जमशेदपुर में अनेकों फैक्ट्रियां हैं जिसमें टाटा जी की आयरन एंड स्टील फैक्ट्री भी शुमार है।

Tata’s Success Story

JAMSET JI TATA –

आपको बता दें JAMSET JI TATA का जन्म सन 1839 में हुआ था तथा उन्होंने स्टार्टिंग एजुकेशन के बाद मुंबई के Elphinstone college से अपनी पढ़ाई पूरी की।

दोस्तों टाटा जी के बारे में कहा जाता है कि बचपन से ही उनका रुक व्यापार को विकसित करने पर था और शायद इसी वजह से उन्होंने कॉलेज से निकलने के तुरंत पश्चात ही अपने पिता की व्यापार फर्म में शामिल हो गए। Jamset ji Tata ने अंग्रेजों के अंतर्गत चीन के साथ हो रहे ट्रेड को अधिक बढ़ाने का प्रयास किया। परंतु जब अमेरिकन गृह युद्ध स्टार्ट हो गया तो ब्रिटिश कंपनियों को मिलने वाली कपास की आपूर्ति रोक दी गई।

और इसका पूरा फायदा भारतीय कपास उत्पादन को मिल गया। उस समय मुंबई कपास मैं कपास की आवश्यकता भी अधिक हो गई। Jamset ji Tata पिताजी के साथ एशियाटिक बैंकिंग कारपोरेशन में जुड़े।

बता दें सन 1870 में jamset ji Tata ने लगभग ₹21000 के साथ एक व्यापारिक कंपनी की स्थापना की और मुंबई तथा नागपुर में कपास कि मिल को भी स्थापित किया। तो दोस्तों यहां से शुरू हो जाती है टाटा बनने की कहानी और इसके बाद धीरे-धीरे समय बीतने पर उन्हें पहचान भी मिलने लगी।

दोस्तों बताया जाता है कि इनके 4 सपने थे –

Tata’s Success Story

  1. देश में विश्व स्तरीय शिक्षा संस्थान बनाना
  2. देश का एक भव्य होटल बनाना
    3 आयरन और स्टील कंपनी खड़ी करना
  3. एक हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट लगाना

आपको बता दें इन्होंने भविष्य के अपने सपने को साकार करने के लिए भारत के साथ हर क्षेत्र से अपने सपनों को जोड़ा। इसके बाद उन्होंने सन उन्नीस सौ तीन में कोलाबा में ताज होटल को स्टार्ट किया। तू तो आपको बता दें उस समय यही एक ऐसा होटल था जिसमें बिजली थी। Jamset ji Tata के निधन के पश्चात सन उन्नीस सौ चार में उनके बड़े बेटे जिनका नाम है ‌ Dorabji Tata ने कंपनी के चेयरमैन पद को संभाला।

DORAB JI TATA –

दोस्तों आपको बता दें इन्होंने अपने पिताजी के सपने को पूरा करने के लिए सन 1907 में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी जैसे हम TISCO के नाम से भी जानते हैं की स्थापना की। इस कंपनी की वजह से भारत में industrial revolution की स्थापना हुई। आपको बता दें यह एरिया भारत के other industrial sectors के लिए सहायक के रूप में उभरा।

आपको बता दें dorab Ji Tata ने इस संसार की ओर देखते हुए अपना पहला विदेशी कार्यालय लंदन में शुरू किया। कंपनी ने jamshedji Tata के दूसरे सपने को देखते हुए सन 1910 में टाटा पावर की स्थापना भी कर डाली जोकि सन 1910 में वेस्टर्न इंडिया का पहला hydro power plant बना।

इसके दूसरे वर्ष ही इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की भी स्थापना इन्होंने ही की। दूषित संस्थान की स्थापना करने के पीछे का कारण एक रोचक कहानी है.

और वह कहानी यह है कि सन 1983 में जापान से शिकागो की तरफ जा रहे एक जहाज में jamshedji Tata की भेंट स्वामी विवेकानंद जी से हुई जो खुद भी इसी सफर पर जा रहे थे। इस भेंट के दौरान स्वामी विवेकानंद जी ने जमशेदजी टाटा के साथ अपनी सोच रखी। और स्वामी विवेकानंद जी ने अपने विचार कुछ इस प्रकार से रखे कि उनका गहरा असर dorabJi Tata के पिताजी पर पड़ा। दोस्तों जैसा कि हम सभी जानते हैं कि स्वामी विवेकानंद जी की मेमोरी पावर बहुत ही तेजी से काम करती थी क्योंकि बे अपना ध्यान एक समय में एक ही चीज पर लगाते थे। जब उन्होंने अपने विचार दोराबजी के पिताजी के सामने रखें तो यहीं से इनके पिताजी के मन में शिक्षा संस्थान के निर्माण की बात बैठ गई।

JRD TATA –

Dorab Ji Tata के पश्चात JRD TATA इस ग्रुप के चेयरमैन बने। जेआरडी टाटा जीके दौर में टाटा ग्रुप ने एक बड़ा विस्तार देखा। दोराबजी टाटा जब चेयरमैन थे तो उस टाइम पर टाटा ग्रुप में सिर्फ 14 उद्यम संस्थाएं थी जिसकी कुल परिसंपत्ति लगभग 108 मिलियन डॉलर थी लेकिन वहीं सन 1998 तक आते-आते यह संख्या 95 तक पहुंच गई जिसकी कुल संपत्ति 5 बिलीयन डॉलर्स में कन्वर्ट हो गई। जोकि अपने आप में एक बड़ी संपत्ति होती है।

दोस्तों आपको बता दें जेआरडी टाटा जी ने अपने बिजनेस को सभी क्षेत्रों में विशाल बनाया है जिसमें मार्केटिंग, सॉफ्टवेयर, केमिकल तथा टेक्नोलॉजी जैसी सभी जरूरी सेक्टर सम्मिलित हैं।

सन 1952 में जेआरडी टाटा ने टाटा एयर सर्विस को भी शुरू किया जिसे सन 1977 में भारत सरकार के द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया और इसी वर्ष तक जेआरडी टाटा चेयरमैन रहे।

बनाया गया इसकी स्टार्टिंग रेलवे लोकोमोटिव बनाने के लिए की गई।सन 1968 में टाटा कंसलटेंसी सर्विस को भी शुरू कर दिया गया।
इस प्रकार से टाटा ग्रुप आगे बढ़ता गया और ऊंचाइयों को छूने लगा पर दोस्तों यह सभी कार्य संभव तभी हुए जब उन्होंने लगातार कोशिशें की तो यहां से हम सभी के लिए संदेश यह भी मिलता है कि हमें लगातार प्रयास करते रहना चाहिए क्योंकि निरंतरता में ही सफलता होती है। अपने ध्यान को एक ही जगह रखना स्वामी विवेकानंद से सीखिए एक समय में एक ही कार्य करते थे और उस कार्य को जी जान से करते थे।

RATAN TATA –

वैसे तो टाटा पहले ही इस संसार में अपनी पहचान बना चुका था किंतु रतन टाटा के आने पर टाटा ग्रुप को और अधिक दुनिया के जाने-माने प्लेयर्स में शामिल कराया। आप सभी को बताना रतन टाटा की चेयरमैनशिप के दौरान टाटा ने 2000 में Tetley, वहीं 2007 में Corus तथा सन 2008 में Jaquar or land Rover जैसी बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण किया।

दोस्तों आप लोगों को बता दें टाटा द्वारा बनाए गए सॉफ्टवेयर सिस्टम सिलिकॉन वैली से लेकर सिंगापुर तक 180 मिली सेकंड में डाटा को ट्रांसफर करता है और टाटा का नेटवर्क दुनिया में फैला है।

यह भी कहा जाता है कि भारत में जब श्रीमान नरेंद्र मोदी द्वारा जो कि भारत के प्रधानमंत्री हैं उन्होंने विमुद्रीकरण के समय जब 2000 के नहीं नोट छापे गए तो उन्हें टाटा द्वारा डिजाइन फैक्ट्री में ही प्रिंट किया गया। शायद आपको मालूम नहीं होगा कि टाटा वर्तमान की इस दुनिया का सबसे बड़ा फाइबर नेटवर्क नियंत्रित करता है और लगभग 200 देशों का यह नेटवर्क दुनिया के 30 परसेंट फाइबर नेटवर्क ऐसा अकेले अपने पास रखे हुए हैं।

Tata’s Success Story

दोस्तों टाटा की सफलताओं के बाद भी उन पर अरे को वाद विवाद लगते रहे हैं। एक बार केरल सरकार ने वन संपदा को नुकसान पहुंचने के लिए टाटा पर आरोप लगाया था। टाटा नैनो के समय पर टाटा को अपने प्लांट को पश्चिम बंगाल से गुजरात में लाना पड़ा था वैसे तो वर्तमान समय में रतन टाटा लोगों के दिलों पर राज करते हैं और यह भारत के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक हैं। दोस्तों आप में से कई लोगों को नहीं पता होगा कि यह जितना कमाते हैं उसमें से 60% दान कर देते हैं। टाटा जी का चरित्र बहुत ही अच्छा है और उनकी कामयाबी का यह भी एक कारण बना है
टाटा अपने नीचे काम कर रहे सभी कर्मचारियों का विशेष तौर पर ख्याल रखते हैं और अपने प्रोडक्ट एवं ब्रांड में किसी भी प्रकार की कोई धोखेबाजी नहीं करते हैं। वास्तव में एक अच्छे इंसान के सभी लक्षण इनमें हैं। व्यक्ति अपने अच्छे चरित्र से ही महान बनता है यह उन्होंने अच्छी तरह हम सभी को खुद महान बन कर संदेश दिया है।

तो दोस्तों उम्मीद करते हैं यह जानकारी आप सभी लोगों को पसंद आई होगी। यदि आप इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर करेंगे तो उनको भी इनके बारे में जानकारी हो पाएगी तो इसलिए इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर अवश्य करें। धन्यवाद

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