Want to Destroy Beauty l मैं सुंदरता का विनाश चाहता हूं !

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Want to Destroy Beauty मैं सुंदरता का विनाश चाहता हूं !->हर साल एक बाजार लगता है । जिसमे बेची जाती है खूबसूरती कई दामों में। इस बाजार को कहते हैं लगन। समाज के अच्छे–बुरे सभी तरह के पुरुषों को ‘शादी का बंधन’ के नाम से खूबसूरती बेची जाती है !
कौन सबसे ज्यादा दहेज लेकर आएगी ये तय करेगा की वो लड़का मोहल्ले में कितना सीना फूला के चलता है। उसका बाप कितना डिंग हांकेंगा इसका निर्णय उस लड़की के बाजार मूल्य तय करती है।
माफ करना, कहानी थोड़ा फ्लैशबैक में ले चलते हैं। बात बाजार मूल्य की हुईं है ना। तो दरअसल बेचे जाते हैं पुरुष पर बदनाम होती हैं लड़कियां। दुल्हन शब्द से क्या ख्याल आता होगा आपको ? मुझे तो मजबूरी रूपी घूंघट में परिवार और समाज की बेबसी की शिकार एक मांस का टुकड़ा दिखता है ! माफ करना, आपको वो कन्या दिख सकती है, खूबसूरत कन्या , मुझे नही !

मैं सुंदरता का विनाश चाहता हूं ! Want to Destroy Beauty

पापा की लाडली ,भाई की छुटकी ! ->

मेरे लिए खूबसूरती सिर्फ चेहरे और कपड़े/गहने तय नही करते ! वो उतनी ही अनुपात में खूबसूरत है जिस अनुपात में उसके सपने हैं। वो सपने जो उसने सिर्फ अपने लिए देखे हैं। जब वो नादान थी, बच्ची , पापा की लाडली ,भाई की छुटकी ! उस समय के उसके सपने क्या थे ? मैं बताता हूं। वो चाहती थी बहुत कुछ करना, बहुत कुछ बनना ! वो कहती थी उसे अपने पैरों पर खड़ा होना है !
पैरों पर खड़ा होना ! उसने ये कैसी लकीर खींची थी उस छोटी सी उम्र में ? हमारे समाज में लड़कियां अपने पैरों पर नही बल्कि बाप–भाई के मर्दानगी और खानदान की इज्जत के अनुसार खड़ी होती है। कैसे खड़ी होगी , कैसे चलेगी और कैसे हंसेगी ये भी समाज तय करता है।

भाई घर का चिराग हो गया ->

तभी वो छोटी सी बच्ची अब धीरे धीरे बड़ी होने लगती है ! वो कथित तौर पर ‘जवान’ होने लगती है । नही समझे , मेरे कई सारे दोस्त इसी जवानी के लिए कई पर्यायवाची शब्द प्रयोग करते हैं जैसे ‘माल’ , ‘पटाका’ ‘आइटम’ ‘समान’ आदि– आदि ! देखिए, ये मैने कम हीं बताया आपको। आप अपने राज्य और उसके क्षेत्रीयता और वहां की संस्कृति के अनुसार बोली जाने वाली अन्य शब्दो को भी शामिल कर सकते हैं। मैं up से हूं तो इतना हीं बता सकता हूं। बाकी आप घटिया भोजपुरी गाने सुनकर सीख सकते हैं !
हां, तो वो अब जवान होने लगी है। वो बिना बताए घर से बाहर भी नही निकलती है अब। उसका भाई उसका संरक्षक है।
दरअसल वो भी वैसे हीं बड़ी हो रही थी ,जैसे उसका भाई बड़ा हुआ उसके साथ हीं वो भी बड़ी हुई। भाई घर का चिराग हो गया वो मोहल्ले की ‘माल’ हो गई !

शादी कब करोगे ? ->

उसके बाप को पता है की उसकी बेटी पर किसकी किसकी नजर है ! बेचारा बाप , कुछ कर भी नही सकता है। वो उस समय भी कुछ नही कर पाया था जब उसकी अपनी बहन जवान हुई थी। बेटी बड़ी हो गई ! लोग बाते करने लगे हैं की इतनी बड़ी हो गई है, शादी कब करोगे ?
कितनी बड़ी होने पर किसी लड़की को ‘बड़ी’ कहा जाता है ? मैं देखने की कोशिश करता हूं कई बार इधर उधर। पर, मुझे कोई निश्चित उत्तर नही मिल पाता है।
वो बड़ी हुई तो दो चीज होता है उसके साथ ! एक तो वो मोहल्ले के लडको के नजर में बड़ी होती है, माफ करना ‘आइटम’ होती है। एक अपने बाप के नजर में बड़ी होती है शादी के लिए !
पर मैं सहमत नही हूं यहां पर ! मैने तो 18 साल ,20 साल ,25 साल की उम्र में लड़कियों को बड़ी होते देखा है। तो समाज किस लड़की को किस उम्र में बड़ी कहेगी ये तय नही है। इसका निर्णय होता है वो कुछ और है !

लड़की कभी बड़ी होती हीं नहीं है. ->

पर एक बात अजीब है जो मैं बताना चाहता हूं की एक लड़की जन्म लेते हीं बड़ी हो जाती है। नही समझे ना !! तो सुनो, कभी समाचार में सुने होगे की ढाई साल की लड़की का हुआ गैंगरेप। हां, ये लिखते हुए मेरे हाथ कांप रहें है। पर , ठहरो , मैं भी ठहरा तथाकथित मर्द, ये दर्द मुझे नही होना चाहिए। मुझे समाज कांपते हुए कैसे देख लेगी ? कहावत है ना की मर्द होके रोता है, मर्द तो बहादुर होते हैं।
पर शायद मैं नही हूं वो मर्द। मुझे रोना पसंद है, मुझे डर लगता है जब मैं सोचता हूं की आज मेरी भांजी 6 महीने की है और वो भी अब बड़ी हो रही है। मैं डरता हूं, बहुत !
हां, तो बात समझ आई आपको। लड़की कभी बड़ी होती हीं नहीं है, उसकी कोई उम्र नहीं होता है। अगर वो अच्छे संभ्रांत घर में पैदा हुई है तो वो 30 साल 34 साल में बड़ी होती है। मेरी कई दोस्त है जो 28,29 साल में भी बड़ी नही हुई है। अरे मतलब , वैसे बड़ी नही हुई हैं जैसे मोहल्ले के अंकल देख के पगला जाते हैं की शादी कब कीजिएगा जी इसका ! वो वाली बड़ी !

कुछ लड़कियां 18–20 साल में हीं बड़ी हो जाती है अगर वो अच्छे घर में पैदा लेने से चूक गई है । दरअसल वो 18–20 साल में बड़ी नही बल्कि ‘बोझ’ हो जाती है, अपने मां–बाप के सीने पर पड़ा पत्थर हो जाती है।

बाजार लगा हुआ है। ->

अब आते हैं फिर से सुभाष घई की फिल्मों की तरह फ्लैशबैक में ! बाजार लगा हुआ है। खानदान के सारे ‘चिराग’ अपनी अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं । कोई सरकारी नौकरी करता है, कोई प्राइवेट नौकरी करता है।
कोई कुछ नही करता है पर वो मर्द है इसलिए उसको बाजार में समुचित स्थान मिलेगा । फुल इज्जत और सत्कार के साथ !
लड़की का बाप, बेचारा, दुखी आत्मा , अपनी पूरी जिंदगी की कमाई से बचा कर पैसे जमा करता है ताकि इन्ही में से किसी को अपना ‘दामाद’ बनाएगा !
तो सारे लौंडो के घर पर अगुआ के माध्यम से चहल कदमी बढ़ी हुई है। हर दूसरा दिन कोई रिश्ता लेकर आता है एक बूढ़ा बेचारा बाप अपनी बेटी को इन लोगो को ‘दान’ करने के उद्देश्य से। बार्गेनिंग चलती है कितने में तय किया जाए , कितना लेकर फाइनल किया जाए। वैसे एक बात बताना भूल गया मैं, रेट तय भी होते हैं कई बार। जैसे ग्रुप डी लेवल के नौकरी के लिए 10–12 लाख और एक मोटरसाइकिल। ग्रुप सी है 4–5 लाख जोड़ दीजिए, और एक कार भी चलेगा। सोने का चैन कितना मोटा होगा ये भी देखा जाता है। आगे बढ़ते हुए 30 लाख , अगर IAS –IPS है तो करोड़ भी पार हो जाता है।

तो तय रेट के अनुसार ‘डील’ फाइनल होने के पहले लड़की को दिखाया जाता है । लड़की दिखाई दो रूपों में होती है। एक पूरे परिवार और खानदान को दिखाया जाता है और दूसरा सिर्फ घर के ‘चिराग’ देखता है।

वही बच्चा जो खानदान का ‘वंश’ बढ़ाएगा ! ->

अब यहां से लड़की को मानसिक तौर पर नंगा किया जाता है। आठ दस बूढ़े , पांच सात चाचियां लड़की को ऊपर से नीचे निहार के देखती है। उसको चलाया जाता है, कहीं लंगड़ा के तो नही चलती ना ! उसके बदन के हर ‘अंग’ को देखा जाता है की वो उस खानदान के तथाकथित ‘चिराग’ के लिए पूर्णरूपेण उपयुक्त है की नही !
आखिरकार अंत में उसको बच्चा हीं तो पैदा करना है। वही बच्चा जो खानदान का ‘वंश’ बढ़ाएगा ! जी हां, राजा बाबू आएंगे और दादा और पाप का मूंछ ऊंचा करेंगे ! बस गलती से कोई लड़की या सिर्फ लड़कियां ना पैदा हो जाए, बेचारो के मूंछ का क्या होगा ?
हां, पहला स्टेज पार करने के बाद कन्या को अब उसका होने वाला पति–परमेश्वर देखेगा ! वैसे पति परमेश्वर की सुंदरता का कोई पैमाना समाज ने नही बनाया है। वो बस एक सरकारी नौकरी करने वाला होना चाहिए। क्यों न वो साढ़े तीन फीट का काला नाग हीं क्यों न हो ? सब चलेगा ! पैमाना बस कन्या के लिए है। कन्या सभ्य, संस्कारी, सॉरी ! सुसंस्कारी, विनम्र ,ममता की देवी, सबकी सेवा करने वाली, अच्छा खाना बनाने वाली, श्रीदेवी जैसी दिखने वाली आदि आदि प्रकार के पैमाने होते हैं उसके लिए !
तो फिर भावी पति देव कन्या को निहारते हैं। ऊपर से लेकर नीचे तक। उसकी मर्दानगी को कैसे बिस्तर पर 100 फ़ीसदी संतुष्टि मिलेगी, ये सोचकर भाई साब लड़की के अंग अंग को खंगाल रहे हैं।

गुलाम का सौदा ->

उधर बाप दहेज के लिए बोली पर बोली लगा रहा है।
डील फाइनल हो जाता है और लड़की अब ‘दान’ होने के लिए तैयार है। चारों तरफ खुशियां हैं, लड़की को छोड़कर सब नाच रहा है, गा रहा है।
पर कुछ छूटा हुआ नही दिखा आपको ? अपने गौर नही किया ना ! लड़की का बचपन का सपना छूट चुका है भाई ! वो टीचर बनना चाहती थी, प्रोफेसर बनना चाहती थी, बहुत कुछ करना चाहती थी ! वो चाहती थी वो अपने मन पसन्द के लड़के से शादी करेगी या शादी करेगी हीं नहीं ! क्या चाहती थी वो सब छूट गया। आज अगर कुछ बचा है तो उस घर में बस उसकी यादें। वो जो बचपन में ड्राइंग बनाके घर के दीवारों पर टांगती थी वो पेंटिंग बचा हुआ है। तरह तरह की नक्काशी करके जो उसने अपने ‘पापा’ के घर को सुंदर बनाया था ना, वो सब बच गया है, या छूट गया है।

औरत है पर वो आधी लाश है ->

जब वो जाएगी वहां के लोग इसको देख के बोलेंगे की लड़की बढ़िया लाए शर्मा जी। एक नंबर बहू लाए हैं वर्मा जी। सर्वागुणी पतोह खोजे हैं यादव जी। पर क्या किसी को पता है की जो ‘लड़की’ उनके यहां गई है वो ‘अधूरी’ है। उसे आधा मार दिया गया है। वो दिख जरूर रही है की वो एक पूरी औरत है पर वो आधी लाश है और आधी अपने बाप की इज्जत है। उसको कुछ न बोलने की हिदायत देकर विदा किया गया है। मां उसको खूब ट्रेनिंग दी है की कैसे रहना है ससुराल में।
चुप चाप अर्ध–मृत अवस्था में एक गुलाम का सौदा हो चुका है। चारो तरफ खुशियां, ढोल –नगाड़े बज रहे हैं, और किसी तथाकथित ‘सुहाग’ के कमरे में एक लड़की घूंघट में खुद के साथ साथ होने वाले ‘वैवाहिक बलात्कार’ के लिए तैयार है।
अब मुझे ये बताओ की इस कहानी में यह कहावत की “जोड़ियां तो ईश्वर स्वर्ग में बनाता है” कैसे चरितार्थ होगा। लड़कियों को कई रिजेक्शन झेलना पड़ता है, तब जाके एक ‘चिराग’ को वो पसंद आ जाती है। तो इसमें ईश्वर ने कैसे बनाई उसके साथ उसकी जोड़ी ?

निस्कर्ष ->

जो मैने टाइटल लिखा है ना इसीलिए लिखा था की मैं सुंदरता का विनाश चाहता हूं! Want to Destroy Beauty ये तथाकथित सुंदरता एक बोझ बन जाती है एक लड़की के लिए। इस सुंदरता में अगर उसके सपने के साकार होने की क्षमता नही है तो मैं इस सुंदरता को समाप्त करना चाहता हूं !
बाकी , उसके चाचा की छादी में जलूल जाना तुमलोग !!

मैं सुंदरता का विनाश चाहता हूं ! Want to Destroy Beauty

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